देवताओं का मन्दिर निर्माण में सहयोग संत महिमा page 56:
देवताओं का मन्दिर निर्माण में सहयोग देना:
कहते हैं एक दिन देर रात तक बाबा धर्मदास, बसावा सिंह और राप प्यारा सिंह को निर्माण स्थल पर रुकना पड़ा। वे बैठे हुए ठाकुर जी के चम्तकारों की चर्चा कर रहे थे। अचानक उन्हें आकाश से एक प्रकाश पुंज झिल-मिल करता हुआ पृथ्वी की ओर आता नज़र आया, वे आश्चर्य चकित उसकी ओर देखते रहे। उन्होंने देखा कि वह प्रकाश पुंज देवताओं का था । उन्होने पृथ्वी पर आकार कार-सेवा के रुप में मन्दिर की दीवार के तीन रद्दों की चिनाई की और देवलोक को लौट गये। इस प्रकार देवताओं ने भी मन्दिर के निर्माण में अपना सक्रिय सहयोग प्रदान किया। इस चमत्कार से दर्शकों के दिल में परमहंस ठाकुर जी के प्रति जो आस्था थी वह और अधिक बढ़ गयी। दूसरे दिन राज-मिस्त्री काम करने आए तो पूछने लगे कि दिवर की तीन रद्दों की चिनाई किसने की है। इतना सुन्दर काम मनुष्य तो कर नहीं सकता। तब बाबा धर्मदास ने उन लोगों को गत रात्रि में हुए चमत्कार की बात बताई। सभी हैरत में थे। इस चमत्कार से संगत को ठाकुर जी की आध्यकत्मिक शक्ति का ज्ञान हो गया। वे समझ गये कि देवता भी महाराज जी के आधीन हैं और उनकी सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।