कलिद उल क्लब

कलिद उल क्लब

बापू जी की अमृत वाणी

‘‘कलीद उल क्लब’’ में

भगवद् प्राप्ती, साधना, उपासना, तथा

मुक्ति के अभिलाषी भक्तों के लिए

अमूल्य निधि है। इन में से कोई एक तथ्य

को भी श्रद्धा एवं विष्वास के साथ

व्यवहारिक जीवन में सही रुप में अपना लिया

जाये तो जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है

 

उनाले में आतिश, सियाले में आब कर्म कष्ट देही, न आत्म मिलाप फकीरी में इनकी कोई लोड़ न फकीरी फख्त मन से मन जोड़ना

खुदा को याद करना बंदगी है, यह तन तेरा निरा ही गंदगी है। कि एक दिन खाक हो जाएगा यह तन, तेरे डेरे लगेंगे जंगल या वन।

खर्च लाखों न एक दमड़ी कमाया, जन्म पा आदमी दा बिरथा गंवाया।

तू कर ले बंदगी और मान कहना, भजन में हर घड़ी हर पलक है रहना।

 

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