बापू श्रद्धाराम जी महाराज कथाएं सुरक्षा छाबड़ा

बापू श्रद्धाराम जी महाराज कथाएं
सुरक्षा छाबड़ा

बापू श्रद्धाराम जी के अनन्य सेवकों में से एक हैं श्रीमती सुरक्षा छाबड़ा जिन्होने अपने पूर्ण विश्वास और अखण्ड भक्ति से बापू श्रद्धाराम जी की कृपा से पुत्र रत्न प्राप्त किया। अपने ससुराल वालों के तानो से दुखी होकर वह पुत्र प्राप्ती का वरदान प्राप्त करने हेतु बापू श्रद्धाराम जी की शरण में आई। इससे पूर्व वह कई ज्योतशियों के पास भी अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु जा चुकी थी। अतैव बापू श्रद्धाराम जी ने उनकी दो वर्ष कठिन परीक्षा ली। एक बार उन्हें परखने हेतु बापू जी ने उन्हें चैक में कुछ सामान रख कर आने और पीछे मुड़ कर न देखने को कहा। इस पर सुरक्षा जी ने कहा कि अब वह इस प्रकार के कार्य न करके केवल अपने बापू पर ही पूर्ण विश्वास रखना चाहती हैं। उनका कहना था कि पुत्र तो वह बापू जी से लेकर ही जाएँगी। हालांकी उनकी किस्मत में सात पुत्रियाँ होने कि बात बापू जी ने बताई थी परन्तु बापू जी कि कृपा से दो पु़ित्रयों के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हो गई।

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