खुदाई में ठाकुर जी के त्रेता युग के अवशेष मिलना page 55
खुदाई में ठाकुर जी के त्रेता युग के अवशेष मिलनाः
ठाकुर जी द्वारा बताई गयी भूमि को साफ करके मन्दिर की नींव की खुदाई प्रारम्भ की गयी। यथोचित गहराई तक नींव खोदकर दीवार बनाने का काम शुरु करना था कि महाराज जी ने नींव को और थोड़ी गहराई तक खोदने का आदेश दिया। नींव को और थोड़ी गहराई तक खोदा गया तो वहाँ एक पक्का आसन, चरण पादुकाएँ, तूँबी, वरागन, चिमटा, विभूति (धूनी) आदि अनेक वस्तुएँ भक्तों को मिली। यह करिश्मा देखकर सभी आश्चर्य चकित रह गए। उन्होने महाराज जी के चरणों में नतमस्तक होकर इस भेद को जानना चाहे। ठाकुर जी ने फरमाया कि इस पवित्र स्थली पर उन्होंने त्रेतायुग में साधना – उपासना की थी। उसी के ये अवशेष हैं। इस भेद को जानना चाहा। ठाकुर जी ने फरमाया कि इस पवित्र स्थली पर उन्होने त्रेतायुग में साधना-उपासना की थी। उसी के ये अवशेष हैं। इस भेद को उनके अतिरिक्त और कोइ नहीं जानता। उस पक्के आसन वाले स्थान पर ही मन्दिर का निर्माण किया गया। मन्दिर का नाम ’’राम झरोका’’ रखा गया । गहरी नींव के कारण मन्दिर की एक मन्जिल जमीन के नीचे गुफा रुप में बनी है। शेष भाग भूमी के उपर है। ठाकुर जी की सभी निशानियाँ, खुदाई में प्राप्त वस्तुएँ और पलंग अब भी मन्दिर में सुशोभित हैं, भक्त जन उनका दर्शन कर कृतार्थ होते हैं और अपनी मुरादें पाते हैं।