गुरु संत महिमा
गुरु
मनुष्य जीवन के समस्त व्यवहारों तथा आध्यात्मिक साधनों की सफलता सत्गुरु पर निर्भर करती है। सत्गुरु का स्थान ईश्वर से उँचा मानते हैं। सतगुरु की महिमा अनन्त है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। पानप देव फरमाते हैं –
‘‘गुरु परमेश्वर एको जान,
गुरु मिल पड़ी प्रभु की पहचान।‘‘
गुरु की पहचान हेतु आप जी ने कहा है –
‘‘ गुण का मारा जगमरा, गुरु गुण मारे सोय।
जे नर मारा गुणों ने, कहै पानप गुरु न होय ।।‘‘
‘‘सतगुरु सोई जानिए, सब धोखा डारै खोय।
आत्म-राम बतावै प्रघट, लावै मनसा दर्शन होय।।‘‘