श्री नन्दाचैर धाम
नन्दाचैर मात्र एक गाँव नहीं है यह एक तीर्थ-धाम है। ऐसा तीर्थ-स्थान जहाँ नाम की गंगा बहती रहती है। जहाँ दिन-रात नाम का उच्चारण होता है, जहाँ का हर कण भक्ति से ओत-प्रोत है। यह धरा धाम कल्पवृक्ष व चिन्तामणि का अन्तरंग स्थान है। श्री नन्दाचैर धाम मुक्ति, मोक्ष, बैकुण्ठ का द्वार है।
-प्रभुकृपामूर्ति बापू हरभगवान जी महाराज
गद्दीआसीन श्री ओमदरबार नन्दाचैर
‘‘नन्दाचैर जो जग ते साजया तू
ऐस जेहा न जग ते द्वार कोई’’
कैसा स्थान, सिद्ध स्थान। जिस स्थान पर निरंतर ‘गुरूबाणी’, ‘राम’ नाम की गंगा बह रही हो, वहाँ की पावन धरती इस प्रकार सुखदायिनी होती है कि उसको नतमस्तक होने से जीव का कल्याण हो जाता है। बापू ओमजी महाराज की ये तपस्थली है। हरनाम जी महाराज ने यहाँ महान भक्ति और त्याग की प्रेरणा देते हुए मानव-मात्र को जीवन में अग्रसर होने की शिक्षा दी है। बापू श्रद्धाराम जी महाराज ने इस पावन धरती पर प्रेमाभक्ति का प्रवाह चलाया है।
-प्रभुकृपामूर्ति बापू हरभगवान जी महाराज
गद्दीआसीन श्री ओमदरबार नन्दाचैर
नन्दाचैर की ये जो पुण्य धरा है, ये जो पवित्र धरती है, यहाँ आने से मनुष्य की तो बात ही क्या है पशु-पक्षी भी आकर गति प्राप्त कर लेते हैं जो
ऋषि-मुनि भी तपस्या करने पर नहीं प्राप्त कर पाते। यहाँ हर समय भक्ति नृत्य कर रही है। भक्ति ही मुक्ति की दातार है। यहाँ का कण-कण जिसमें ऊँ-ऊँ समाया हुआ है, इसलिये यहाँ आने वाले प्रत्येक प्राणी का रोम-रोम ऊँ का उच्चारण करता है और वो मोक्ष का अधिकारी हो जाता है।
-प्रभुकृपामूर्ति बापू हरभगवान जी महाराज
गद्दीआसीन श्री ओमदरबार नन्दाचैर
आनन्दपुर साहिब कहाँ है, जहाँ गुरूबाणी का कीर्तन है, जहाँ गुरूबाणी पढ़ी जा रही है, जहाँ हर समय परमात्मा का नाम है वहीं आनन्द का पुर है। नन्दाचैर धाम आनन्द का स्थान है। क्योंकि यहाँ वालिये-दो-जहान, शहंशाहों के शहंशाह, पारब्रह्म परमेश्वर बापू श्रद्धा राम जी महाराज ने महान भक्ति की है। दिन रात गुरूबाणी पढ़ी और पढ़ाई है।
श्री नारायण जी महाराज का अवतार इस धरती पर हुआ। धरतीे ने पुकार की, उस परमात्मा से क्योंकि जैसे यहां प्रचलित है कि नन्दाचैर का कोई नाम नहीं लिया करता था, चोर डाकुओं की यह जगह थी, आतंक फैला रहता था तो धरती माँ तंग आ जाती है पाप सहते-सहते। जब-जब धरती पर बोझ पड़ा धरती ने परमात्मा से जाकर प्रार्थना की, भगवान की स्तुति करके प्रार्थना की तो भगवान ने आशीर्वाद दिया कि अवतार लेकर मैं पापियों का संहार करने के लिए पुनः धर्म संस्थापनार्थ आऊँगा संसार में।
नन्दाचैर की धरती ने प्रार्थना की – भगवान कृपा करो आप स्वयं पधारो ताकि यहाँ के जो जीव हैं, जीव आत्माएँ हैं जो रास्ता भटक गए हैं, जो
पापमय हैं एवं जो दुर्गुण अपने में धारण किए हुए हैं उनका कल्याण हो जाए। ईश्वर ने कृपा की इस पावन धरती पर ओम बापू नारायण जी
अवतरित हुए।
आप मुक्त मुक्तारे संसार
वे आप मुक्त होते हैं और जो उनके सम्पर्क में आएगा उनका भी वो निस्तार कर देते हैं। ओम जी महाराज का संसार में आने का भाव यही रहा कि जन-जन में ऊँ नाम का उच्चारण कर, ऊँ नाम का सिमरण करा कर आत्मबोध करवाना और इन्सान को वास्तविक रूप में जो इंसानी जामा मिला है उसका निष्कर्ष बताना कि ‘‘भाई क्यों आया संसार में? तेरा संसार में आने का लक्ष्य क्या है? तेरा कत्र्तव्य क्या है? तुझे क्या करना है? क्या नहीं करना है।’’
-प्रभुकृपामूर्ति बापू हरभगवान जी महाराज
गद्दीआसीन श्री ओमदरबार नन्दाचैर