शेरन के शेर हैं, शेरों के राजे
शेरन के शेर हैं, शेरों के राजे, नंदाचौर में सतगुरु बिराजे।
लम्बा दाढ़ा कि गोबिन्द रुप तेरा, बेगमपुर देश में सतगुरु का डेरा।
बांकी पगड़ी कि माथे में जोत जगती, अनुभव रुप है नैनों में ज्योति।
वहां मुकता कत्रा बिन्दुल न लगती, कि अपने आप में आत्म की शक्ति।
वहां का हाल कहने में ना आवे, वही जाने जो वहां पहुँच जावे।
सुनो लोको पूरे गुरु की कमाई, फूलों वाली वाशना भौंरो को आई।
दास गरीब दी सुन लई पुकार, गले से चुक लगा लया मूर्ख गंवार।
चरण संग जोड़ के सुरति कमाई, धन नर देह में बजती बधाई।
सुनो लोको पूरे गुरु की निशानी, चरखी स्वांस की सीने में चलती।
सभी जन चाढ़ लए ओढ़क दी बेड़ी, बेगमपुर जा लथी सन्तां दी डेरी।
ठाकुर दास जो गुरु सेव कमावे, नेड़े काल ना हर जन के आवे।
शेरन के शेर हैं, शेरों के राजे, नंदाचौर में सतगुरु बिराजे।
लम्बा दाढ़ा कि गोबिन्द रुप तेरा, बेगमपुर देश में सतगुरु का डेरा।
बांकी पगड़ी कि माथे में जोत जगती, अनुभव रुप है नैनों में ज्योति।
वहां मुकता कत्रा बिन्दुल न लगती, कि अपने आप में आत्म की शक्ति।
वहां का हाल कहने में ना आवे, वही जाने जो वहां पहुँच जावे।
सुनो लोको पूरे गुरु की कमाई, फूलों वाली वाशना भौंरो को आई।
दास गरीब दी सुन लई पुकार, गले से चुक लगा लया मूर्ख गंवार।
चरण संग जोड़ के सुरति कमाई, धन नर देह में बजती बधाई।
सुनो लोको पूरे गुरु की निशानी, चरखी स्वांस की सीने में चलती।
सभी जन चाढ़ लए ओढ़क दी बेड़ी, बेगमपुर जा लथी सन्तां दी डेरी।
ठाकुर दास जो गुरु सेव कमावे, नेड़े काल ना हर जन के आवे।