हरीश भाटिया
हरीश भाटिया ढक्का निवासी के पिता पुलिस विभाग में हैड कोंस्टेबल थे। बेहद ईमानदार प्रवृति के श्री ने अपनी छः सन्तानों का पालन-पोषण आर्थिक कठिनाईओें के बावजूद बहुत अच्छी तरह किया। कई बार वे अपने बेटे हरीश भाटिया के स्कूल की फीस भी समय पर दे नही पाते थे। ऐसे में उनकी पत्नि ने ढक्का स्थित मंदिर में जाना आरमभ किया। धीरे धीरे अपने पति और बच्चों को भी बापू जी के चरणों में लगाना आरमभ किया। एक बार बापू श्रद्धाराम जी ने ढक्का स्थित अपने भक्तजनों के घर में जाने का निश्चय किया। जब समस्त श्रद्धालुओं के घरों को अपने पावन चरणों की रज से पवित्र कर वह ग्रेटर कैलाश स्थित एक अन्य भक्त के घर जाने को तैयार हुए तब हरीश भाटिया जी की छोटी बहन राज जो उस वक्त 6-7 वर्ष की थी, ने बापू जी से प्रार्थना की कि बापू जी आप हमारे घर को भी अपनी चरण रज से पवित्र करो। इस पर बापू जी ने कहा की हम अभी नही , फिर कभी आएँगे। राज के पुनः प्रार्थना करने पर बापू जी ने उनहे ग्रेटर कैलाश स्थित उस भक्त के घर आने को कहा। इस पर राज ने कहा कि, बापू जी हम कैसे आ सकते हैं, हमारे पास तो कुछ भी नहीं है। इस पर बापू जी ने कहा कि आप गाड़ी से आआोगे। किसी कि समझ में नही आया कि आर्थिक विपन्नता का शिकार परिवार गाड़ी में किस तरह आ सकता है। इस घटना के 10-12 दिन बाद हरीश भाटिया जी के पिता जी को
किसी कार्य हेतु हरयाणा जाना पड़ा। वहां उन्होने मजबूरी वश लाटरी के पांच टिकट खरीदने पड़े जिसमें से उन्होने तीन टिकट अपने साले को तीन रुपय में दे दिए। वापिस आ कर जब लाटरी का परिणाम एक अखबार में चैक किया तोे उनके आश्चर्य कि सीमा न रही। उनका एक लाख का पहला डरा निकला जब उन्होंने अपने से बड़े उच्चायुक्त को इसके बारे में बताया तो उन्होने हरियाणा फोन करके सारी सूचनायें एकत्र की। उनके आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्हें पता चला कि पहले इनाम में एक लाख रुपये और एक एम्बैसेडर कार जोड़ दी गई है। हरियाण की तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती ओम प्रभा जैन के हाथों उन्होने अपना ईनाम प्राप्त किया। यह घटना 1969 की है। इसके बाद उन्होने 5000 रुपये ढक्का साहाब मंदिर में अर्पण कर गाड़ी में नन्दाचैर के लिए प्रस्थान किया और बापू जी का आर्शीवाद प्राप्त किया। केवल 10-12 दिन में बापू जी के वचनों के प्राप्त से उक्त परिवार 1 लाख 80 हज़ार रुपय और एक ऐम्बैसेडर कार का मालिक बन गया।
हरीश भाटिया से संबंधित एक दूसरा दुष्यन्त उनके र्हदय के रोग से संबंधित है। डाक्टरों के मतानुसार उनके दिल की दो नाड़ियों में ब्लाकैज थी जिसका इलाज केवल आपरेशन से ही सम्भव है। इसी बिमारी के कारण दो अन्य मरीजों कि जान पहले ही जा चुकी थी। इसी कारण दो महीने हस्पताल में रहने के बाद भी हरीश जी के माता पिता हस्पताल से सीधा नन्दाचैर ले आए
जहाँ बापू जी ने उन्हें दो दिन हवन पर बिठाया और कहा कि तुम्हारा आपरेशन हो चुका है। इसके बाद से लेकर आज के समय तक हरीश जी को कोई समस्या नही हुई। आज उनकी आयु 52 वर्ष की है। हालांकि डाक्टर अब भी उन्हें दिल की बिमारी बतातें हैं परन्तु उसका प्रभाव कहीं भी दृष्टिमोचर नहीं होता। ऐसी है बापू जी की महीमा