तू शरण गुरां दी जा
तू शरण गुरां दी जा, ऐवे ना भटक मन वे।
तू जीवन सफल बना, ऐवे ना भटक मन वे।
बिन सतगुरा दे घोर अँधेरा है, शरण गुराँ दी तू कर ले बसेरा है, तू जीवन सफल बना, ऐवे न भटक मन वे……
शरण गुराँ दी जो भी कोई आया है, मन वांछित उसने फल पाया है, तू चरणों में शीश झुका, ऐवे ना भटक मन वे…….
बापू श्रद्धाराम सतगुरु मेरा दाता है, लोक परलोक दा ओ भाग्यविधाता है, तू दिल विच इसनु बसा, ऐवे ना भटक मन वे……
ओम दरबार दी महिमा ऐ न्यारी है, झुकदी ऐ दर ते दुनिया ऐ सारी है, तू दर ते अलख जगा, ऐवे ना भटक मन वे…..
तू शरण गुराँ दी जा…..
तू जीवन सफल……