अमृतसर दरबार में जब बापू ओम जी पधारे उन्होंने देखा कि उनके शिष्य बापू गौसाईं राम लाल जी महाराज वहां पर विराजे थे और भक्त उन्हें मत्था टेक रहे थे| बाबू ओम जी महाराज को आता देख गोसाई रामलाल जी ने भक्तों को कहा कि बापू ओम जी को माथा टेकिए यह मेरे गुरु हैं|
तभी बापू गौसाईं राम लाल जी महाराज के शिष्यों ने बोला कि वह आपके गुरु हैं हमारे गुरु तो आप ही हैं| हम तो आपको ही माथा टेकेंगे| यह देखकर बापू ओम जी ने हंसकर कहा कि कल का लड़का आज गुरु बना बैठा है| और इतना कहने के बाद बापू ओम जी ने सभी भक्तों के साथ व बापू गौसाईं राम लाल जी के साथ एक तस्वीर खिचवाई|
जब वह तस्वीर बाद में सबके सामने आई तो उसमें देखा कि बापू गोसाई रामलाल जी वृद्ध होने के बाद भी उस तस्वीर में युवा लग रहे थे| बापू ओम जी के द्वारा हंसी में कही हुई बात भी सत्य हो गई जो सब भक्तों ने बाद में उस तस्वीर में देखी| वह तस्वीर आज भी मौजूद है जिसके दर्शन आप इस कथा के साथ यहां कर सकते हैं|