परिपक्वता का क्या अर्थ है ?

*आदि शंकराचार्य जी से प्रश्न किया गया कि “परिपक्वता” का क्या अर्थ है ?*

*आदि शंकराचार्य जी ने उत्तर दिया कि –*

*1. परिपक्वता वह है – *जब आप दूसरों को बदलने का प्रयास करना बंद कर दे, इसके बजाय स्वयं को बदलने पर ध्यान केन्द्रित करें.*

*2. परिपक्वता वह है –  *जब आप दूसरों को, जैसे हैं,वैसा ही स्वीकार करें.*

*3. परिपक्वता वह है –  *जब आप यह समझे कि प्रत्येक व्यक्ति उसकी सोच अनुसार सही हैं.*

*4. परिपक्वता वह है –  *जब आप “जाने दो” वाले सिद्धांत को सीख लें.*

*5. परिपक्वता वह है –  *जब आप रिश्तों से लेने की उम्मीदों को अलग कर दें और केवल देने की सोच रखे.*

*6. परिपक्वता वह है –  *जब आप यह समझ लें कि आप जो भी करते हैं, वह आपकी स्वयं की शांति के लिए है.*

*7. परिपक्वता वह है –  *जब आप संसार को यह सिद्ध करना बंद कर दें कि आप कितने अधिक बुद्धिमान है.*

*8. परिपक्वता वह है –  *जब आप दूसरों से उनकी स्वीकृति लेना बंद कर दे.*

*9. परिपक्वता वह है –  *जब आप दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर दें.*

*10. परिपक्वता वह है –  *जब आप स्वयं में शांत है.*

*11. परिपक्वता वह है –  *जब आप जरूरतों और चाहतों के बीच का अंतर करने में सक्षम हो जाए और अपनी चाहतो को छोड़ने को तैयार हो*

*12. आप तब परिपक्वता प्राप्त करते हैं –  *जब आप अपनी ख़ुशी को सांसारिक वस्तुओं से जोड़ना बंद कर दें.*

*आपको सुखी परिपक्व जीवन की शुभकामनाएंँ …* 🙏🏻

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