भागो वाला दिन था आया

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🙏 *जय बापू दी जी*🙏
*भागो वाला दिन था आया*,
*भागो वाली वो घड़ी थी*,
*15 जून 1935 को*,
*एक सच्चे सन्त का स्वागत करने*,
*सृष्टि सारी खड़ी थी*
*पिता जयगोपाल जी जग्गा*,
*माँ जमुनादेवी जी के घर*,
*लगी खुशियों की अपार*,
*झड़ी थी*
*पाकिस्तान जिला मिंटगुमरी विच*
*एक नूर इलाही आया था*
*बापू “हरभगवान जी” ने*,
*रुप श्रद्धाराम जी का पाया था*
*”हरभगवान था नाम आपका*,
*हर भगवान समाए थे*,
*राम,कृष्ण,ब्रह्मा,विष्णु, महेश*
*जैसे खुद ही चलकर आये थे*,
*सतयुग,त्रेता,द्वापर का आपने*
*सबको दर्श कराया था*
*चोला मानव का लेकर*,
*खुद रब चलकर आया था*
*राम रूप में मर्यादा का, पाठ सभी को पढ़ाया था*
*शबरी के मन के भावों को*
*आपने ही अपनाया था*
*कृष्ण रूप में प्रेमरस का*,
*पान सभी को कराया था*
*मान, मोह,मद,लोभ रूपी*,
*राक्षसों को दूर भगाया था*
*ब्रह्मा रूप में सारी सृष्टि*,
*प्यार से रचाई थी* ,
*विष्णु रूप में संगत पाली*,
*अपने अंक समाई थी*,
*शिव भोले के रूप में आपने*,
*कुरीतियों का संहार किया*,
*ना जाने कितने बच्चों का*,
*हाथ पकड़ उद्धार किया*,
*नंदाचौर की पावन धरती*,
*खुशियों से महकाई थी*,
*जब बापू ओम, हरनाम, श्रद्धाराम जी की जोत*,
*आपके रूप में यहां आयी थी*,
*गुरु गुरुरामदास जी जैसे*,
*कीर्तन के वो रसिया थे*,
*शक्तिपुंज बापू भानु जी से*,
*संगत के मन बसिया थे*,
*मन की बातें भक्तों की वो*,
*आंखों से पढ़ लेते थे*
*जो भी सच्ची भावना से आया*
*उसकी झोली भर देते थे*,
*जात-पात का भेद मिटाकर*,
*सबको गले लगाते थे*,
*सीधे, सच्चे, भोले- भाले*,
*उनके मन को भाते थे*,
*जन-जन की उद्धार की खातिर*
*मंदिरों का निर्माण किया*,
*भूल स्वयम को* ,
*सर्वस्व अपना संगत पर ही वार दिया*,
*किसी के भाई,किसी के पिता*,
*किसी के बंधु सखा हो तुम*,
*मेरा तो हर रिश्ता तुमसे*,
*मेरे तो सबकुछ हो तुम*,
*कहीं नही गए हैं बापू जी*,
*हरपल ही तो साथ हैं*
*मन की आँखे खोलकर देखो*
*सदा-सदा वो पास हैं*,
*इस पावन दिवस पर आज*,
*आओ ये संकल्प करें*,
*उनके बताए मार्ग पर चलकर*
*अपना जीवन सफल करें*
*अपना जीवन सफल करें*।
*🕉 बापू हरभगवान जी महाराज आपकी सदा ही जय*🙏🙏
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*आपकी बेटी*
*रुचि तनेजा (रुद्रपुर)*

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