Bapu Shardha Ram Ji Maharaj

महाराजी का अखीरला समय, षीषे का तड़कना

बापू श्रद्धाराम जी महाराजी का अखीरला समय, शीशे का तड़कना

अद्भुत दिव्य शक्ति सम्पन्न दिव्स आत्माओं को अपने लौकिक शरीर त्यागने के समय का पूर्व ज्ञान पहले ही हो जाता है। उस समय वे अपने निकटस्थ श्रद्धालुओं को कुछ ऐसे संकेत दे देतें हैं जिससे उनके लौकि शरीर के त्याग का आभास मिलता है। बापू श्रद्धाराम जी ने भी कुछ ऐसे संकेत संगत को दिए थे। अपने देह त्याग के दो दिन पहले उन्होंने अपने भांजे गुरुलक्षमणदास को भेज दिया था। एक अन्य श्रद्धालु ने भी जब जाने कि इच्छा जताई तो बापू जी ने कहा कि जा तो रहे हो पर रोते हुए वापिस आना होगा। देहावसान के ठीक एक दिन पूर्व बापू जी जब दरबार में माथा टेकने आए तो ट्रस्ट के सेक्रेटरी सरदार मुकन्द लाल को कहा कि यह उनकी आखरी प्रणाम है। जब मुकन्द लाल जी ने पूछा कि आप क्या कह रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वह तो ऐसे ही कह रहे थे। देहत्याग वाले दिन अटृी गाँव में जब सुबह चार बजे बापू जी के भतीजे जगदीश जी बापू जी का स्वरुप साफ कर रहे थे वो अचानक जिस तरफ बापू श्रद्धाराम जी का फोटो था उस तरफ का शीशा अचानक तिड़क गया। उस समय किसी की समझ में यह बात नही आई। ठीक उसी समय नन्दाचैर में बापू जी ने अपना शरीर त्याग कर दिया था। बाद में जब संगत के लोगों ने आपस में बात की तो बापू जी के देहत्याग का समय निर्धारण हुआ।

Author Info

OmNandaChaur Darbar

The only website of OmDarbar which provide all information of all Om Darbars