Bapu Harnam Ji Maharaj
धन धन श्री गुरु हरनाम जी हैं, और धन धन इनकी माया है।
सूरज बनकर इस दुनिया के, लोगों को राह दिखलाया है।
पिंड हेड़िया ज़िला जलन्धर में, इक गाँव था बेमिसाल हुआ
माता हरकोरा कि गोदी में, पैदा इक सुन्दर लाल हुआ
जिसने नुरानी ताकत से, ईष्वर का रुप बनाया है।
साढ़े गयाराह का वक्त था, दो मघर कि रात सुहानी थी
श्री गुरु हरनाम जी काया न, ईष्वर कि एक निषानी थी
पिता पूरण दास हर्ष हुए, और रोम रोम हर्शाया है।
पिता पूरण दास महन्त हुए, और त्यागी बढ़े हरनाम हुए
भारी पद का मोह त्याग कर, भक्ति का रंग चढ़ाया है
इक गुफा में भारी तप किया, पूरे दिन में इक जौं खाया है
प्रभु प्रेम में हरनाम जी ने, मन अपना सरल बनाया है
सोने चाँदी से प्यार न था, पर प्यार था दुनिया वालों से
लाखों कि दोलत ठुकराई, पूछो हरिद्वार के लालों से
वो त्याग ही सच्ची मूरत है, हमको दर्षाया है।
प्यास लगी गुरु दर्षन की, हरनाम जी नन्दाचैर गए
ओम जी ने योग माया से, अपना स्वरुप छुपाया है
बाहरी नज़रों से कभी नहीं, भीतर का पट खुलवाया है
इक प्यार था गुरु चरणों से, और दया भरी थी सबके लिए
बूढ़ी की गठढ़ी सिर पे उठा, उसे चैं पार कराया है
खुष होकर ओम नरायण ने, अन्तरयामी रुप दिखाया है
अमृतसर में यज्ञ हुआ, और हवन कि हुई त्यारी थी
बारिष हुई ज़ोरों से, और बिजली चमकी भारी थी
कृपा करी हरनाम जी ने, बारिष को भी रुकवाया है
ब्रहमलीन होने कि हरनाम जी ने, जब मन में यह ठाणि थी
कहके कुछ भक्तों से तभी, ओकाड़ा जाने कि ठाणि थी
फमबिया वालों ने कहा प्रभु, रुक जाओ प्रभु न जाओ प्रभु
तभी वचन दिया हरनाम जी ने, आकर रुकुंगा तब यहीं
ओकाड़ा गए ब्रहमलीन हुए, सतगुरु कि यह वाणी थी
पिंड फमबिया में हरनाम दियां, अस्थियां जब श्रद्धा राम लाए
आकाषवाणी इक मधुर हुई, रुक जाओ यहीं कुछ देर अभी
इस तरह गुरु हरनाम जी ने, अपना वचन निभाया है
सुन लो सुन लो दुनिया वालों, धन धाम यहीं रह जाना है
जो नाम जपा इन स्वासों से, वही काम तुम्हारे आना है
प्रकाष ही सच्ची दौलत है, और झूठी जग कि माया है
धन धन श्री गुरु हरनाम जी हैं, और धन धन इनकी माया है।
सूरज बनकर इस दुनिया के, लोगों को राह दिखलाया है।
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Name: | Bapu Harnam Ji Maharaj |
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Father's Name: | Pita Puran Dass Ji |
Mother's Name: | Mata Harkaur Ji |
Date Of Birth: | 2 Maghar (17th November) |
Place Of Birth: | Village Hediya, Distt. Jallandhar, Punjab (India) |
Message: | Tyag and Tapasya |
Naam Diksha by: | Bapu Om Narayan Dutt Ji Maharaj |
Disciples: | Bapu Shardha Ram Ji Maharaj (Nandachaur), |
Jyoti Jyot: | 12 Assuj Samvat 2002 Vikrami (September 1945 A.D.) Okara (now in Pakistan) |