संत श्री हरनाम जी कह गए ओम नाम जो गायेगा, लाख चुरासी योनि से वो जीवन मुक्ति पायेगा।
ओम नाम का सिमरन कर के ऋषि मुनी वर पाते है
महा तपस्वी योगी ज्ञानी उसका ध्यान लगाते है, ओम नाम का बेड़ा सब भक्तों को पार
लगाएगा, लाख चौरासी…..
ओम नाम के सच्चे दर पे जो भी कोई आता है, सचे इस दरबार का सच्चा प्यार सदा वो पाता है
श्रद्धाराम को श्रद्धा से जो भी शीश झुकायेगा
लाख चौरासी……
संत श्री हरनाम प्रभु जी चोला आज बदलाया है, श्रद्धाराम को शक्ति देकर अपना रूप बनाया है
श्रद्धाराम भोले भंडारी जो मांगो मिल जाएगा
लाख चौरासी…….
सच्चे इस दरबार की सेवा श्रद्धाराम कमाते थे, इस दरबार की पूंजी को वो हाथ ना कभी लगाते थे
श्रद्धाराम ने ये फ़रमाया मेहनत कर जो खायेगा
सचा वो हमदर्द बनेगा, प्यार गुरु का पायेगा।
लाख चौरासी……
संत श्री हरनाम जी…….